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।। बने हम हिंद के योगी ।।

 

बने हम हिंदके योगी , धरेंगे ध्यान भारतका ।

उठाकर धर्मका झंडा, करे उत्थान भारतका ।।ध्रु।।

 

गलेमें शीलकी माला । पहनकर ग्यानकी कफनी ।

उठाकर त्यागका झंडा । रखेंगे मान भारतका ।।१।।

 

बने हम हिंदके योगी , धरेंगे ध्यान भारतका ।

उठाकर धर्मका झंडा, करे उत्थान भारतका ।।ध्रु।।

 

जलाकर कश्टकी होली । उठाकर इश्टकी झोली ।

जमाकर संतकी टोली । करे उत्थान भारतका ।।२।।

 

बने हम हिंदके योगी , धरेंगे ध्यान भारतका ।

उठाकर धर्मका झंडा, करे उत्थान भारतका ।।ध्रु।।

 

स्वरोमें तान भारतकी । है मनमें आन भारतकी ।।

नसोमे रक्त भारतका । नयनमें मूर्ति भारतकी ।।३।।

 

बने हम हिंदके योगी , धरेंगे ध्यान भारतका ।

उठाकर धर्मका झंडा, करे उत्थान भारतका ।।ध्रु।।

 

हमारे जन्मका सार्थक । हमारे मोक्षका कारन ।।

हमारे स्वर्गका साधन । यही उत्थान भारतका ।।४।।

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